जानबूझकर बाधा पहुंचाते हुए दोषियों को बचाया

Spread the love

नागदा(निप्र)- दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 में शासकीय कर्मचारियों और अधिकारियों पर मुकदमा चलाये जाने की अनुमति दिये जाने हेतु वर्ष 2013 से 2018 तक 282 अधिकारियों कर्मचारियों के विरूद्ध लोकायुक्त द्वारा भ्रष्टाचार के प्रकरण दर्ज किये जाने के बावजूद शासन के समस्त जवाबदारों द्वारा आपस में सांठगांठ कर अभियोजन स्वीकृति नहीं देने से भ्रष्ट अधिकारी आज तक सेवा में लगे हुए है। अभियोजन स्वीकृति के पूर्व के प्रभावी नियम के होने के बावजूद स्वीकृति का कार्य विधि विभाग से छीनकर प्रशासकीय विभाग को दिये जाने की गैरकानूनी नोटशीट एवं परिपत्र जारी कर अभियोजन स्वीकृति की प्रक्रिया में जानबूझकर बाधा पहुंचाते हुए दोषियों को बचाया गया। प्रदेश के डी.जी.पी. द्वारा मांग करने एवं शासन द्वारा 90 दिनों में अभियोजन स्वीकृति जारी करने के परिपत्र के बावजूद भी पालन नहीं किया गया । परिपत्र में उन धाराओं का उल्लेख भी नहीं किया गया जिसमें कि अनुमति लेने – नहीं लेने का सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देश दिया गया है।,
इस मुद्दे पर सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 450 पृष्ठो की फाईल आर.टी.आई. के अन्तर्गत प्राप्त की गई और इसके आधार पर माननीय हायकोर्ट में डब्ल्यूपी 2312/2019 पर लगाई याचिका की सुनवाई के दौरान पी.आई.एल. में न्यायाधीश एस.सी. शर्मा और विरेन्द्रसिंह जी ने शासन को नोटिस जारी कर 18 मार्च 2019 को जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इस सम्पूर्ण प्रकरण में परसन इन पीटीशनर के रूप में अभय चोपड़ा ने पीटीशन लगाकर पैरवी की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed